क्यूँ बाँध के रखा है इन काली घटाओं को

3:26 AM 0 Comments





क्यूँ बाँध के रखा है इन काली घटाओं को 
इजाज़त छूने की दे दीजिये हवाओं को 

जी भर के इनको महकने बरसने दीजिये 
दिल में खुल के खिलने दीजिये कामनाओं को 

इन फूलों की पंखुड़ियों को जुदा कीजिये 
चमकने दीजिये इन मोतियों, इन शशिकलाओं को 

उठा के इनको, प्यार से हमको भी देखिये 
इन झीलों में चलने दीजिये मेरे दिल की नावों को 

इन मय के प्यालों को ज़रा छलकने दीजिये 
ना झुकाइए शर्म से मद भरी निगाहों को 

हमको बना लीजिए अपने कान का झुमका 
कभी चूमेंगे गालों को कभी ज़ुल्फ़ों के सायों को 

इस चाँद को ज़रा बादलों से बाहर निकालिये
पूनम बना दीजिये मेरी सब निशाओं को 

आप ही के प्यार ने शायर बनाया है 
लफ्ज़ आपने दिए हैं मेरी कविताओं को 




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Ashish Kumar Hooda

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